Friday, August 19, 2011

अंदाज़े शायरी... Written By - Kush Parashar


अंदाज़े शायरी.... लेखक - कुश पाराशर

19-Aug-2011 7:00 PM

तेरी तस्वीर से, मन करता है तुझे चुरा लू |
दीदार करू इस कदर, की तुझे अपने पास बिठा लू ||

तुझे देख कर मुझे, वो जमाना याद आया |
जब कभी आह भरता था दिल, तुझ से गुफ्तगू कर के ||

तस्वीर ये काश, मेरी तकदीर ही होती |
प्यार से साजा के रखता, की कभी खामोश नही होती ||

किसी के प्यार ने, वक़्त ने हमे वो दिखला दिया |
कभी दीवाने थे उनके, आज शायर बना दिया ||

गम तो एक राह है जिन्दगी की,
कि अब उस राह का पता कदमो पे लिखा है |
कभी भटके थे ये कदम,
आज इन राहो में अपना किला है ||

वो अजीज़ है इतने, की शुक्रिया भी कबूल नही |
आँखों से करते है इकरार, की इंकार करना भी कबूल नही ||

खता नही थी मगर फिर भी, ये सज़ा मंजूर की हमने |

था अरमान ये अपना कि, देखे क्या साजा देंगे वो हमको ||

फरमाइए की क्या, खातिर करे हम उनकी | 
सोचते है कुछ करे भी, तो उनके लिए थोडा होगा ||

तारीफ करे कितनी, की लफस भी कम है |
बस दिल से आवाज़ सुनिए, इस दिल की जो सरगम है ||

मन नही भरता, मगर वो विदा माग रहे है |
कैसे कहे उनसे, की वो हमसे क्या माग रहे है ||

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